Swati Sharma

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लेखनी कहानी -24-Nov-2022 (यादों के झरोखे से :-भाग 5)

            मेरे एक फूफाजी ऑटो चलाते थे। हम सब बच्चे उनके ऑटो से विद्यालय जाया करते थे। अतः पूरे ऑटो रिक्शा में हमारा ही राज होता। विद्यालय जाते समय खूब हा ए गाते और आते समय ऑटो के पीछे की खिड़की में बैठकर सबको टाटा करते आते। पुलिस वाला कोई दिख जाता तो, उसे सलाम करते। वो पुलिस अंकल भी हंसने लगते और हमारे सलाम का उत्तर सलाम से देते। एक दिन ये हरकत करते हुए मेरे पापा ने हमें देख लिया, परंतु हम उन्हें नहीं देख पाए थे। वे हमें देख कर मुस्कुराए, तो पुलिस अंकल ने उनको देख लिया और पूछ लिया कि क्या हम उनके बच्चे हैं? वे अंकल पापा।को। जानते थे। उन पापा ने हां में उत्तर दिया। घर आकर पापा ने हमारी रिमांड ली और पूछा कि हम विद्यालय से ऑटो में घर समय क्या करते हैं। अतः हमें हमारी हरकत के विषय में अवगत करवाया। मम्मी को भी ये सब बताने लगे तो बताते हुए उन्हें हंसी आ गई। फिर वो हमें थोड़ा डांटते हुए बोले कि ज़्यादा मस्ती करोगे ना तो पुलिस पकड़ कर ले जाएगी। हमने भी कहा कि हम कुछ गलत थोड़े ना करते हैं। हम तो सलाम करते हैं। बदले में वो अनेक भी हमको सलाम करते हैं। अब पापा।हम क्या समझाते भला। वो मात्र मुस्कुरा दिए।

            पापा ने फूफाजी को जब इस बारे में हमारी शिकायत की तो फूफाजी ने यह कह कर टाल दिया कि बच्चे हैं। अभी मस्ती नहीं करेंगे तो कान करेंगे। फूफाजी हमारी मस्ती के पूरे सपोर्ट में होते थे।
             जब क्रिसमस का दिन आता तो मैं मेरी बुआ की लड़कियों को आमंत्रित कर आती। उस दिन वैसे भी छुट्टी हुआ करती थी। हम क्रिसमस ट्री बनाते और जिंगल बेल गाते हुए सेलिब्रेट करते। चूंकि हम एक क्रिश्चियन स्कूल में पढ़ते थे तो, वहां जो प्रार्थनाएं होती वही हम क्रिसमस पर भी गाते। फिर एक - दूसरे को टॉफियां चॉकलेट बांटते।
              मेरे जन्म दिवस पर मैं मम्मा से बिना पूछे सबको आमंत्रित कर आती। जब सब शाम को आते तब मम्मा को मालूम चलता। वह मुझसे कहती देवी तू मुझे तो बता दिया कर कि सबको बुलावा देकर आई है। ताकि मैं कुछ तैयारी तो कर लूं। मैं उनको टुकुर- टुकुर देखती रहती। मुझे उपहार लेना और बांटना बहुत पसंद था। ईश्वर की कृपा से मेरा जन्म दिवस मेरे माता पिता की शादी की सालगिरह वाले दिन ही आता है। इसीलिए उन्हें किसी का जन्म दिन याद रहे ना रहे, मेरा ज़रूर याद रहता है।
              और क्या बताऊं अपने बचपन के विषय में ?!? जितना बताऊं उतना ही कम लगता है। परंतु, जब भी हम सब मिलते हैं तो, यह सभी बातें याद कर कर के बहुत हंसते हैं।

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2 Comments

Swati Sharma

05-Jan-2023 11:30 PM

Thanks

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